Wednesday 18 April 2012

पतंजलि योगपीठ की देश व दुनियाँ के लिए सेवाएं।

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मुझे उन तथा-कथित कुण्ठित बुद्घिजीवी लोगों के बौद्घिक दिवालियापन पर बहुत तरस  आता है जो अखबारों में कालम लिखकर प्रमाण तथ्य व सत्यहीन आलोचना करके तथा निराधार आरोप लगाने के सथा सलाह देते है कि बाबा रामदेव को क्या करना चाहिए और क्या नहीं करना चाहिए। मैंने शून्य से अपने जीवन की यात्रा शुरुआत करके एक अनपढ कृषक परिवार में जन्म लेकर सत्य, सिद्घान्त, मर्यादा की सीमा में रहकर अहर्निश कठोर अखण्ड पुरुषार्थ करके यदि प्रत्येक व परोक्ष रुप से करोडों लोगों की सेवा करके उनकों आरोग्य एवं आध्यात्मिक मार्ग-दर्शन दिया और उनकों रोग, नशा व अज्ञान से मुक्त बनाकर उच्च चेतना से युक्त जीवन जीने की प्रेरणा दी है। जो भी मुझे आर्थिक, सामाजिक व आध्यात्मिक सामर्थ्य मिले। उसका 100 प्रतिशत पूरी प्रामाणिकता व सत्यता के साथ उपयोग सेवा मे किया है। आज लाखों नि:शुक्ल योग की कक्षाएं, सस्ती व प्रामाणिकता आयुवैदिक औषधि के साथ लगभग 2 हजार वैद्यों की नि:शुल्क सेवा, एक आदर्श विश्वविद्यालय, बिना डोनेशन के योग्यता के आधार पर आयुर्वेदिक काँलेज, गुरुकुल, ग्रामोद्योग से स्वावलम्बी भारत के निर्माण की संकल्पना से लेकर बिहार मे बाढ राहत, सुनामी राहत, मुम्बई हमले के शहिदों का प्रथम राष्ट्रीय स्तर पर सम्मान, गरीब लोगों के लिए विशाल बाल्मीकि धर्मशाला व हजारों लोगों के लिए नि:शुल्क रविदास लंगर, फूटपार्क से प्रत्यक्ष व परोक्ष रु से लाखों किसानों व आम लोगों को लाभ पहुँचाया है। रक्तदान, वृक्षारोपण, नशामुक्ति अभियान व गरीब कन्याओं का विवाह आदि लाखों सेवा के कार्य अज्ञान व स्वार्थ मे अन्धे लोगों को नही दिखते, जिनकों केवल बाबा की योगपीठ, सम्पत्ति, साम्राज्य, संगठन व सोच में भी खोट दिखता है मैं उन लोगों के लिए कुछ न कहना ही श्रेयस्कर समझता हूँ। पतंजलि योगपीठ के द्वारा संचालित योग आयुर्वेद की सेवाओं से प्रत्यक्ष एवं परोक्ष रुप से आज देश व दुनियाँ के 100 करोड अधिक लोग लाभान्वित हुए है तथा दुनियाँ के लगभग 700 करोड लोगों तक योग व भारतीय संस्कृति को लेकर जायेंगे। पतंजलि योगपीठ की समस्त सेवाओं का यदि आर्थिक मूल्यांकन करेम तो हमने आरोग्य देकर लाखों करोड रुपये लोगों के बचाए है और पूर्ण स्वस्थ होकर लोगों ने हजारों लाखों करोड रुपये कमायें भी है। जबकि भ्रष्ट लोगों ने लाखों रुपये देश के लूटे है। संसार में जब भी कोई व्यक्ति नि:स्वार्थ भाव से कर्म, तव या पूरषार्थ करता है तो उसके पास ऐश्वर्य या समृद्घि स्वाभाविक रुप से आती है तथा उसका उपयोग वह व्यक्ति सेव व परोपकार में ही करता है, परन्तु ईष्या व रागद्वेष की मानवीय कमजोरी के चलते कुछ लोगों को तप व सेवा के बीच का केवल ऐश्वर्य या साम्राज्य ही दिखाई देता है।

पूरी दुनियाँ में जितना भी कालाधन है उसमें आधा तो भारत का ही है।

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दुनिया के शीर्ष अर्थशास्त्रियों व संस्थाओं की बात माने तो ये कर्ज का पैसा कालेधन का ही है और पूरी दुनियाँ में जितना भी कालाधन है उसमें आधा तो भारत का ही है। एक और मजे की बात यह है कि इनमें शीर्ष 10 देश भी तीन महीने में लगभग 115 लाख करोड रुपये और कर्ज ले लेते है। यूरो एरिया भी महीने में 57 लाख करोड रुपये से अधिक कर्ज ले लेता है। दूसरे अन्य देशों का भी कर्ज हर महीने बढ ही रहा है। आखिर ये पैसा आ कहाँ से रहा है? क्या आसमान से टपक रहा है? इसकी गहराई में जाने से यह पता चलता है कि हमारे देश के किसान, मजदूर, मध्यम वर्ग के व्यापारी, शिक्षक, सैनिकों आदि ने जो पैसा मेहनत करके कमाया और टैक्स के रुप में सरकार को दिया उसी हमारी खून पसीने की कमाई को इन बेईमान भ्रष्टाचारियों ने लूटकर विदेशों में भेज दिया और इसी कारण हमारे देश का 84 करोड लोगों का एक बडा वर्ग गरीबी रेखा के नीचे जीवन का यापन करने को मजबूर है। भूखे, फटेहाल, बेघर व बेसहारा इन लोगों के बच्चों की तो और भी दयनीय स्थिति है ।

कालाधन

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वास्तव में भारत जैसे प्राकृतिक संसाधन संपन्न देशों का ही धन है जो काले धन के रुप में विदेशी कर्ज के तौर पर देश से बाहर चला गया है विदेशी ॠण के रुप में देश से बाहर गया काला धन स्थायी रुप से किसी एक देश में नही ठहरता है बल्कि अगले नए देश में गतिशील रहता है। भारत का स्विटजरलैंड के बैकों मे जमा काला धन अब दुबई, सिंगापुर व माँरीशस आदि देशों में जा रहा है। यह भी कम रोचक बात नही है कि कुल मिलाकर विश्व के सभी देशों की जी0डी0पी0 लगभग 62 ट्रिलियन डाँलर की है जबकि विश्व के सभी देशों पर कुल मिलाकर लगभग इतना ही बाहरी या विदेशी ॠण है। 
सबसे अधिक कालाधन कुछ भ्रष्ट नेताओं तथा इसके बाद कुछ भ्रष्ट अधिकारियों तथा कुछ बेईमान बडे उद्योगपतियों के पास यह कालाधन है। विदेशी बैंकों में जमा इस कालेधन का विदेशी ॠण के रुप मे विश्व के बडे देश उपयोग करके विकास कर रहे है तथा विलासिता कर रहे हैं तथा भारत व अन्य देश इस भ्रष्टाचार व कालेधन के कारण गरीबी, भूख, अभाव व अपमान में जी रहे है।  
बैंकों की गोपनीयता का लाभ उठाकर हवाला, ओवर इन्वायसिंग, अंडर इन्वायसिंग करके तथा भ्रष्टाचारी व्यक्ति खुद स्विटजरलैंड आदि जाकर वहाँ जमा कराते है। अब तो भारत में केन्द्र सरकार ने स्विटजरलैंड व इटली आदि के उन बैकों को भारत में शाखा खोलने के लिए लाइसेंस दे दिया है जो कलाधन जमा करते है, जिससे कि बेईमान लोगों को देश का लूटा हुआ धन विदेशी बैंकों जमा कराने में कोई परेशानी न हो। 
जिन देशों में ये कालाधन जमा है उन सभी देशों के दूतावास भारत में है। जब भी ये भ्रष्ट लोग उन देशों में जाते है तो जाने से पहले उन देशों का इन्हीं दूतावासों से वीजा लेते है। इसके साथ-साथ भारत सरकार के भी इमीग्रेशन विभाग को पता होता है कि कौन व्यक्ति किस देश में जा रहा है तथा कहाँ से जाकर आया है। ये पूरा विवरण सरकार के पास है, इस पर तुरन्त कार्यवाही करके सरकार पता लगा सकती है कि कालाधन जमा करने वाले कौन लोग है। कुछ लोग स्विटजरलैंड व अन्य टैक्स हेवन देशों में घूमने, नौकरी करने व अपने रिश्तेदारों के पास भी जा सकते है लेकिन कुछ बडे नेता, बडे अधिकारी तथा बडे व्यापारी बार-बार वहाँ पर जाते है। इसका मतलब वे ही बेईमान है और बार-बार पैसा जमा करवाने के लिए ही जाते है।  

भारत विश्व की सबसे बडी आर्थिक महाशक्ति होगा।

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जिस दिन भारत से भ्रष्टाचार खत्म हो जायेगा तथा देश का लूटा धन वापस मिल जायेगा उस दिन भारत की अर्थव्यवस्था व मुद्रा इतनी मजबूत होगी की 1 रुपये की कीमत 50 डाँलर के बराबर होगी तथा भारत विश्व की सबसे बडी आर्थिक महाशक्ति होगा। आज भी भ्रष्ट व्यवस्था भ्रष्टाचार के बावजूद दुनियाँ के अन्य देशों की तुलना में भारत पर बाहर के देशों का लिया गया ॠण मात्र 0.237 ट्रिलियन डाँलर (10.66 लाख करोड रुपये) तथा आन्तरिक ॠण मात्र 0.855 ट्रिलियन डाँलर (34.48 लाख करोड रुपये) है। भारत के बाद भ्रष्टाचार व कालेधन की अर्थ-व्यवस्था को मिटाने का अभियान अन्य एशिया के देशों में भी चलेगा तथा भारत व एशिया का उत्थान होगा तथा हम यूरोप व अमेरिका से भी आगे बढ जायेंगे।
इस प्रकार लगभग इस 3 हजार लाख करोड रुपये में से भारत का 400 लाख करोड से अधिक कालाधन तथा देश की आन्तरिक व्यवस्था में भी लगभग 100 लाख करोड रुपये कालाधन विद्यमान है। इससे बडी दु:खद घटना, आश्चर्य, अन्याय और क्या होगा कि भारत व एशिया के अन्य देशों के कालेधन से यूरोप के देश विकास व विलासिता करें तथा भारत व एशिया के लोग भूखों मरें! यह कितनी शर्म, आश्चर्य व अन्यायपूर्ण बात है! यह पाप तुरन्त बन्द होना चाहिए। भारत में गरीबी के कारण भूख व कुपोषण से मरने वालों की संख्या-‘ग्लोबल हंगर रिपोर्ट’ के अनुसार 1 मिनट में 13, एक घण्टे में 883 तथा एक दिन में लगभग 20 हजार है।

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